tag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post2313664251566403676..comments2024-03-05T10:51:42.292-08:00Comments on ग़ज़लगंगा.dg: वही नज़र, वही अंदाज़े-गुफ्तगू .......devendra gautamhttp://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-4469912213446495032011-02-17T08:08:03.558-08:002011-02-17T08:08:03.558-08:00बहुत ही उम्दा ग़ज़ल.किस शेर की तारीफ़ करू किसे छोड...बहुत ही उम्दा ग़ज़ल.किस शेर की तारीफ़ करू किसे छोडूं.<br />आपकी कलम को सलाम.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-27909083799258272222011-02-17T04:33:22.213-08:002011-02-17T04:33:22.213-08:00Andaje-baya kuch aur hai aapka...
Indian SushantAndaje-baya kuch aur hai aapka...<br /><br /><a href="http://indiansushant.blogspot.com" rel="nofollow">Indian Sushant</a>Sushant Jainhttps://www.blogger.com/profile/07930732022898794200noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-83084769030751507292011-02-17T01:51:41.106-08:002011-02-17T01:51:41.106-08:00भावों का ठोसपन और विचारों की तरलता जिस तरह आपके अश...भावों का ठोसपन और विचारों की तरलता जिस तरह आपके अशआर में हैं वो गजल की ताकत और तेवर की एक मिसाल है। ‘हर बरस गुज़रा है हमपे एक आफत की तरह, ऐ खुदा! हमपे तुम्हारी मेहरबानी कब तलक.’ या फिर ‘ अब यहाँ कोई करिश्मा या कोई जादू न हो, आदमी बस आदमी बनकर रहे साधू न हो. ’.। क्षोभ और असंतोष आता है तो तोड़फोड़ करने के लिए नहीं, गहरे में ले जाने के लिए। एक ऐसी करुणा जो निस्पंद नहीं करती, हां सवालों के बीच लाकर परेशान जरूर करती है। गजलगंगा ब्लाग पर आनेवालों के लिए एक पहेली - सोचिए मीरा और महादेवी गजल में आतीं तो क्या होता ? <br />उमा<br />www.aatmahanta.blogspot.comumahttp://umadisplaced@gmail.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-11502472643229481092011-02-16T08:15:56.209-08:002011-02-16T08:15:56.209-08:00हरेक हर्फ़ पे रौशन हो ताजगी की रमक
कलम की नोक पे ज...हरेक हर्फ़ पे रौशन हो ताजगी की रमक<br />कलम की नोक पे जज़्बात का लहू लाओ.<br />बहुत दिनों की उदासी का जायका बदले<br />अब अपने घर में मसर्रत के रंगों-बू लाओ.<br /><br />वाह..क्या खूब लिखा है आपने...लाजवाब...<br />मेरे ब्लॉग पर भी आने के लिए हार्दिक धन्यवाद।Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-85578393522795692052011-02-16T07:51:19.562-08:002011-02-16T07:51:19.562-08:00हौसला-अफजाई और गल्ती पर ध्यान दिलाने के लिए शुक्रि...हौसला-अफजाई और गल्ती पर ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया! उम्मीद है आगे भी स्नेह बना रहेगाdevendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-35475894650175400732011-02-16T04:05:17.822-08:002011-02-16T04:05:17.822-08:00बहुत सुन्दर शेर , बड़े नाजुक से मसलों पर लिखे गए ....बहुत सुन्दर शेर , बड़े नाजुक से मसलों पर लिखे गए ..देवेन्द्र जी , जानदार अभिव्यक्ति के लिए बधाई ..समेत को समेट लिख लें ..शायद यही आप लिखना चाहते हैं ...शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-87624860578758284032011-02-15T09:30:13.605-08:002011-02-15T09:30:13.605-08:00शजर-शजर से जो बेरब्तगी समेट सके
उसी ख़ुलूस के मौसम...शजर-शजर से जो बेरब्तगी समेट सके<br />उसी ख़ुलूस के मौसम को चार-सू लाओ.<br />वाक़ई ज़रूरत है एक पुरख़ुलूस मुआशरे की<br /><br />हरेक हर्फ़ पे रौशन हो ताजगी की रमक<br />कलम की नोक पे जज़्बात का लहू लाओ.<br />वही शेर कामयाब भी होते हैं जिन में जज़्बात पैवस्त हों<br /><br />बहुत दिनों की उदासी का जायका बदले<br />अब अपने घर में मसर्रत के रंगों-बू लाओ.<br />ज़िंदगी शायद इसी का नाम हैइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-59225468250124382252011-02-15T06:26:18.271-08:002011-02-15T06:26:18.271-08:00दानिश भाई! हौसला-अफजाई के लिए शुक्रियादानिश भाई! हौसला-अफजाई के लिए शुक्रियाdevendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-1535371684901232712011-02-15T05:02:23.937-08:002011-02-15T05:02:23.937-08:00बहुत दिनों की उदासी का ज़ायक़ा बदले
अब अपने घर मे...बहुत दिनों की उदासी का ज़ायक़ा बदले<br />अब अपने घर में मसर्रत के रंगों-बू लाओ.<br /><br />मुसबत सोच से तआरुफ़ करवाता हुआ<br />ये बा-कमाल शेर .... वाह !!<br />ग़ज़ल में<br />गौतम के फ़न का कमाल ज़ाहिर हो रहा है<br /> <br />ज़बान-ओ-लफ्ज़ भी उम्दा, बयान भी बेहतर<br />इसी तरह के सुख़न को ही चार-सू लाओdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.com