tag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post4231010231036845438..comments2024-03-05T10:51:42.292-08:00Comments on ग़ज़लगंगा.dg: उतर चुकें हैं सभी.....devendra gautamhttp://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-76756418878995799452010-06-06T11:05:07.706-07:002010-06-06T11:05:07.706-07:00देवेन्द्र जी आप ने टिप्पणी का प्रावधान नहीं रखा है...देवेन्द्र जी आप ने टिप्पणी का प्रावधान नहीं रखा है जिस की वजह से अक्सर मन की बात मन में ही रह जाती है अगर शुरू कर दें तो अच्छा होगा,शुक्रियाइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-14617745133870046182010-03-28T04:31:43.523-07:002010-03-28T04:31:43.523-07:00shukriyashukriyadevendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-32335393079507940122010-03-27T10:35:55.433-07:002010-03-27T10:35:55.433-07:00नमस्कार ,
मैं २४वीं ग़ज़ल से यहां तक आई तब टिप...नमस्कार , <br /> मैं २४वीं ग़ज़ल से यहां तक आई तब टिप्पणी लिखा दिखाई दिया ,<br />मैंने सारी ग़ज़लें पढ़ीं ,बहुत उम्दा लिखते हैं आप ,इस ग़ज़ल का <br />मतला तो अच्छा है ही ये शेर बहुत उम्दा है<br /><br />यकीन मानो कि सूरज पनाह मांगेगा<br />उतर गया कोई जर्रा अगर बगावत पर।<br /><br />हर ग़ज़ल में ही ऐसे अश’आर हैं कि बेसाख़ता वाह !निकल जाएइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.com