tag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post7727483232226314477..comments2024-03-05T10:51:42.292-08:00Comments on ग़ज़लगंगा.dg: बेबसी चारो तरफ फैली रहीdevendra gautamhttp://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-91881843020915918992011-11-08T02:18:57.566-08:002011-11-08T02:18:57.566-08:00बहुत खूब देवेन्द्र जी ... लंबी चुप्पी के बाद दुबार...बहुत खूब देवेन्द्र जी ... लंबी चुप्पी के बाद दुबारा आपको देख केर अच्छा लगा ... बहुत ही लाजवाब शरों से लदी है ये कमाल की गज़ल ... हर शेर नया पण लिए ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-65165064345736309302011-11-07T02:34:23.150-08:002011-11-07T02:34:23.150-08:00अब इसे खुलकर बिखरने दे जरा
रौशनी सदियों तलक सिमटी ...अब इसे खुलकर बिखरने दे जरा<br />रौशनी सदियों तलक सिमटी रही.<br /><br />दोपहर की धूप से मैं क्या कहूँ <br />चार दिन की चांदनी कैसी रही.<br /><br />वाह...वाह...वाह...लाजवाब ग़ज़ल...ढेरों दाद क़ुबूल करें <br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-6222922624928452942011-11-06T05:31:29.331-08:002011-11-06T05:31:29.331-08:00ग़ज़ल की तारीफ़ में
जो भी कहूँ , कम रहेगा
हर शेर...ग़ज़ल की तारीफ़ में <br />जो भी कहूँ , कम रहेगा <br />हर शेर अपनी बात खुद कहलवा रहा है <br />बधाई स्वीकारें <br />खुश रहें .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-16759304140351230422011-11-05T23:53:01.974-07:002011-11-05T23:53:01.974-07:00बहन इस्मत जैदी जी, भाई कुंवर कुसुमेश जी, भाई राजें...बहन इस्मत जैदी जी, भाई कुंवर कुसुमेश जी, भाई राजेंद्र स्वर्णकार जी, भाई भूषण जी! जिंदगी की कुछ उलझनों, कुछ व्यक्तिगत समस्याओं ने मुझे दो महीने के वनवास पर भेज दिया था. अब उम्मीद है कि आपके बीच मौजूद रहूंगा. आपका प्रेम आपका स्नेह मुझे आपसे अलग नहीं होने देगा. ऐसा विश्वास हैdevendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-25236881177901561442011-11-05T23:19:40.307-07:002011-11-05T23:19:40.307-07:00सुंदर ग़ज़ल.सुंदर ग़ज़ल.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-53498190002164376462011-11-05T22:26:35.559-07:002011-11-05T22:26:35.559-07:00♥
आदरणीय देवेंद्र गौतम जी
सस्नेहाभिवादन !
...<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />♥</a></b><br /><br /><br /><br /><b><i> आदरणीय देवेंद्र गौतम जी </i></b> <br />सस्नेहाभिवादन !<br /><br />ख़ुशामदीद! <br />बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल ले'कर लौटे हैं आप …<br /><b> बेबसी चारो तरफ फैली रही<br />जिंदगी फिर भी सफ़र करती रही</b><br /><b> </b>अच्छा शे'र ! <br /><b>दोपहर की धूप से मैं क्या कहूँ <br />चार दिन की चांदनी कैसी रही </b><br />पूरी ग़ज़ल ही अच्छी है आपके नाम के अनुरूप ही <br />मुबारकबाद आपके लिए कोई अर्थ नहीं रखती , ख़ुद का मन रखने को कह रहा हूं :)<br /><br /># विदा लेने से पहले एक शे'र मेरी तरफ़ से भी -<br /><b> शायरे-आज़म कहां थे इतने दिन<br /> याद हमको आपकी आती रही </b><br /> <br /><b> बधाई और मंगलकामनाओं सहित…</b> <br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-61634020433412309762011-11-05T20:02:27.563-07:002011-11-05T20:02:27.563-07:00दो महीने से कहाँ गुम आप थे ?
आपको बज़्मे-अदब तकती ...दो महीने से कहाँ गुम आप थे ?<br />आपको बज़्मे-अदब तकती रही.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4236588435915650588.post-6726771979403483582011-11-05T12:15:19.326-07:002011-11-05T12:15:19.326-07:00दोपहर की धूप से मैं क्या कहूँ
चार दिन की चांदनी ...दोपहर की धूप से मैं क्या कहूँ <br />चार दिन की चांदनी कैसी रही.<br /><br />इतने दिनों के बाद अपने उसी तेवर के साथ आप की आमद बहुत ख़ुशगवार है <br />उम्दा ग़ज़ल !!इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.com