किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
सर पे न यूं बिठाइए सरदार समझकर.
कूड़े में डाल आइए बेकार समझकर
रावण का वो वंशज है, पता बाद में चला
पूजा था जिसे राम का अवतार समझकर
कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.---ग़ालिब अच्छी-बुरी जो भी हो...प्रतिक्रिया अवश्य दें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब
अच्छी-बुरी जो भी हो...प्रतिक्रिया अवश्य दें