किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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रविवार, 19 जून 2011
ताजगी की इक इबारत.......
ताजगी की
इक
इबारत और क्या.
मेरी बस इतनी सी चाहत और क्या.
बैठे-बैठे लिख रहा होगा खुदा
हम सभी लोगों की किस्मत और क्या.
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