किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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सोमवार, 11 अप्रैल 2011
दिलों में तैरती कागज़ की नाव.....
दिलों में तैरती कागज़ की नाव तो देखो.
नदी तो देखो, नदी का बहाव तो देखो.
मैं कौन हूं मेरे नज़दीक आओ तो देखो.
तुम अपने आप को मुझमें छुपाओ तो देखो.
ज़मीन पांव तले है न आस्मां सर पर
नज़र की धुंध को लेकिन हटाओ तो देखो.
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