अनाड़ी हाथों में पासा है, खेल क्या होगा
उड़ेल सकता है जितना उड़ेल, क्या होगा.
छुछुंदरों पे चमेली का तेल, क्या होगा.
तुम्हारे हाथ में पत्थर है, चला सकते हो
अगर उठा लिया हमने गुलेल, क्या होगा.
हमें ज़मीं की तहों का ख़याल रहता है
वो पूछते हैं सितारों का खेल क्या होगा.
जुनूं की कार ठिकाने पे कभी पहुंची है
धकेल सकता है जितना धकेल, क्या होगा.
करार हो भी गया तो वो टिक न पाएगा
भला अंधेरे उजाले का मेल क्या होगा.
कोई परिंदा कहीं पर न मार पाएगा
हरेक घर को बना देंगे जेल, क्या होगा.
-देवेंद्र गौतम