सहने-दिल में जुल्मते-शब की निशानी भी नहीं.
चांदनी रातों की हमपे मेहरबानी भी नहीं.
ढूंढता हूं धुंद में बिखरे हुए चेहरों को मैं
यूं किसी सूरज पे अपनी हुक्मरानी भी नहीं.
ताके-हर-अहसास पर पहुंचा करे शामो-सहर
खौफ की बिल्ली अभी इतनी सयानी भी नहीं.
किस्सा-ए-पुरकैफ का रंगीन लहजा जा चुका
अब किताबे-ज़ीस्त में सादा-बयानी भी नहीं.
याद भी आती नहीं पिछले ज़माने की हमें
और मेरे होठों पे अब कोई कहानी भी नहीं.
कल तलक सारे जहां की दास्तां कहता था मैं
आज तो होठों पे खुद अपनी कहानी भी नहीं.
कोशिशे-परवाज़ की गौतम हकीकत क्या कहें
आजकल अपने परों में नातवानी भी नहीं.
----देवेन्द्र गौतम
चांदनी रातों की हमपे मेहरबानी भी नहीं.
ढूंढता हूं धुंद में बिखरे हुए चेहरों को मैं
यूं किसी सूरज पे अपनी हुक्मरानी भी नहीं.
ताके-हर-अहसास पर पहुंचा करे शामो-सहर
खौफ की बिल्ली अभी इतनी सयानी भी नहीं.
किस्सा-ए-पुरकैफ का रंगीन लहजा जा चुका
अब किताबे-ज़ीस्त में सादा-बयानी भी नहीं.
याद भी आती नहीं पिछले ज़माने की हमें
और मेरे होठों पे अब कोई कहानी भी नहीं.
कल तलक सारे जहां की दास्तां कहता था मैं
आज तो होठों पे खुद अपनी कहानी भी नहीं.
कोशिशे-परवाज़ की गौतम हकीकत क्या कहें
आजकल अपने परों में नातवानी भी नहीं.
----देवेन्द्र गौतम