रोजो-शब का अज़ाब देखेंगे.
नींद आई तो ख्वाब देखेंगे.
तीरगी के हिजाब में रहकर
रौशनी बेहिजाब देखेंगे.
सामने भी हुए तो क्या हासिल
जिंदगी की तवील राहों में
रंजिशें बेहिसाब देखेंगे.
आइना गुफ्तगू पे उतरेगा
आप अपना जवाब देखेंगे.
हर वरक पर उगेंगे अक्स तेरे
जब भी कोई किताब देखेंगे.
मैकशी लाख हो बुरी लेकिन
आज पीकर शराब देखेंगे.
ख्वाहिशों के चमन में हम गौतम
रोज़ ताज़ा गुलाब देखेंगे
----देवेंद्र गौतम .
नींद आई तो ख्वाब देखेंगे.
तीरगी के हिजाब में रहकर
रौशनी बेहिजाब देखेंगे.
सामने भी हुए तो क्या हासिल
दरमियां हम हिजाब देखेंगे.
जिंदगी की तवील राहों में
रंजिशें बेहिसाब देखेंगे.
आइना गुफ्तगू पे उतरेगा
आप अपना जवाब देखेंगे.
हर वरक पर उगेंगे अक्स तेरे
जब भी कोई किताब देखेंगे.
मैकशी लाख हो बुरी लेकिन
आज पीकर शराब देखेंगे.
ख्वाहिशों के चमन में हम गौतम
रोज़ ताज़ा गुलाब देखेंगे
----देवेंद्र गौतम .