किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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गुरुवार, 22 मार्च 2012
आदमी के भेष में शैतान था
आदमी के भेष में शैतान था.
हम समझते थे कि वो भगवान था.
एक-इक अक्षर का उसको ज्ञान था.
उसके घर में वेद था, कुरआन था.
सख्त था बाहर की दुनिया का सफ़र
घर की चौखट लांघना आसान था.
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