किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
पृष्ठ
होमपेज
किताबों की दुनिया
खबरगंगा
हलफनामा
अदबी-दुनिया
सगुन
समर्थक
शुक्रवार, 8 जुलाई 2011
लाख हमसाये मिले हैं......
लाख हमसाये मिले हैं आईनों के दर्मियां.
अजनवी बनकर रहा हूं दोस्तों के दर्मियां.
काफिले ही काफिले थे हर तरफ फैले हुए
रास्ते ही रास्ते थे मंजिलों के दर्मियां.
आगे पढ़ें »
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)