किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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मंगलवार, 24 मई 2011
डूबने वाले को......
डूबने वाले को तिनके के सहारे थे बहुत.
एक दरिया था यहां जिसके किनारे थे बहुत.
एक तारा मैं भी रख लेता तो क्या जाता तेरा
आस्मां वाले तेरे दामन में तारे थे बहुत.
वक़्त की दीवार से इक रोज रुखसत हो गयी
हमने जिस तसवीर के सदके उतारे थे बहुत.
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