किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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रविवार, 7 अप्रैल 2013
कत्ता
हवा की जद में इक भटका हुआ लश्कर निकल आया
धुआं चिमनी में कालिख छोड़कर बाहर निकल आया.
तुम्हारा जी भी हल्का हो गया शिकवा शिकायत से
हमारे दिल पे भी रक्खा हुआ पत्थर निकल आया.
---देवेंद्र गौतम
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