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रविवार, 15 सितंबर 2019

गज़ल ( चंद्रयान-2 की सफलता पर)


अपना इसरो कर गया कैसा करिश्मा देखना.
चांद को अब देखना अपना तिरंगा देखना.

चांद को खंगाल कर रख दे न थोड़ी देर में
अपना विक्रम नींद के पहलू से निकला देखना.

इक भगीरथ तप रहा है फिर हिमालय पर कहीं
स्वर्ग से इकबार फिर उतरेगी गंगा देखना.

हौसले की लह्र सी महसूस करना दोस्तो
आसमां पर जब कोई उड़ता परिंदा देखना.

(अब दूसरे रंग के शेर)
उनको सच्चाई नज़र आती नहीं, क्या बात है
उनकी आंखों पर पड़ा है कैसा पर्दा देखना.

जितनी कब्रें हैं उखाड़ो, गौर से देखो सही
गैरमुमकिन तो नहीं मुरदे को जिन्दा देखना.

जब तलक कटती नहीं उसकी ज़बां, बोलेगा वो
चारो जानिब नाच भी नाचेगा नंगा देखना.