किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
सर पे न यूं बिठाइए सरदार समझकर.
कूड़े में डाल आइए बेकार समझकर
रावण का वो वंशज है, पता बाद में चला
पूजा था जिसे राम का अवतार समझकर