किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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गुरुवार, 2 अगस्त 2012
हमने दुनिया देखी है
भूल-भुलैया देखी है.
हमने दुनिया देखी है.
उतने की ही बात करो
जितनी दुनिया देखी है.
हमने झिलमिल पानी में
अपनी काया देखी है.
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