किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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गुरुवार, 29 मार्च 2012
खता क्या है मेरी इतना बता दे
खता क्या है मेरी इतना बता दे.
फिर इसके बाद जो चाहे सजा दे.
अगर जिन्दा हूं तो जीने दे मुझको
अगर मुर्दा हूं तो कांधा लगा दे.
हरेक जानिब है चट्टानों का घेरा
निकलने का कोई तो रास्ता दे.
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