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शनिवार, 28 अप्रैल 2012

मेरी बर्बादियों का गम न करना

मेरी बर्बादियों का गम न करना.
तुम अपनी आंख हरगिज़ नम न करना.

हमेशा एक हो फितरत तुम्हारी
कभी शोला कभी शबनम न करना.

कई तूफ़ान रस्ते में मिलेंगे
तुम अपने हौसले मद्धम न करना.

बुधवार, 25 अप्रैल 2012

ऐसी सूरत चांदनी की

ऐसी सूरत चांदनी की.
नींद उड़ जाये सभी की.

एक लम्हा जानते हैं
बात करते हैं सदी की.

हम किनारे जा लगेंगे
धार बदलेगी नदी की.

शनिवार, 14 अप्रैल 2012

बंद दरवाज़े को दस्तक दे रहा था

जाने किस उम्मीद के दर पे खड़ा था.
बंद दरवाज़े को दस्तक दे रहा था.

कोई मंजिल थी, न कोई रास्ता था
उम्र भर  यूं ही   भटकता फिर रहा था.

वो सितारों का चलन बतला रहे थे
मैं हथेली की लकीरों से खफा था.