किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011
ख्वाबों की धुंध में अभी.......
ख्वाबों की धुंध में अभी रूपोश हैं सभी.
आंखें खुली हुई हैं प बेहोश हैं सभी.
तेरे असर से चार-सू रहता था शोरगुल
टूटा तेरा तिलिस्म तो खामोश हैं सभी.
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