तमन्नाओं की नगरी को कहीं फिर से बसा लूंगा.
यही दस्तूरे-दुनिया है तो खुद को बेच डालूंगा.
तुझे खंदक में जाने से मैं रोकूंगा नहीं लेकिन
जहां तक तू संभल पाए वहां तक तो संभालूंगा.
उसे मैं ढूंढ़ लाऊंगा जहां भी छुप के बैठा हो
मैं हर सहरा को छानूंगा, समंदर को खंगालूंगा
मिलेगी कामयाबी हर कदम पर देखना गौतम
खुदा का खौफ मैं जिस रोज भी दिल से निकालूंगा.
----देवेंद्र गौतम
यही दस्तूरे-दुनिया है तो खुद को बेच डालूंगा.
तुझे खंदक में जाने से मैं रोकूंगा नहीं लेकिन
जहां तक तू संभल पाए वहां तक तो संभालूंगा.
उसे मैं ढूंढ़ लाऊंगा जहां भी छुप के बैठा हो
मैं हर सहरा को छानूंगा, समंदर को खंगालूंगा
दिखाऊंगा कि कैसे आस्मां में छेद होता है
मैं एक पत्थर तबीयत से हवाओं में उछालूंगा .मिलेगी कामयाबी हर कदम पर देखना गौतम
खुदा का खौफ मैं जिस रोज भी दिल से निकालूंगा.
----देवेंद्र गौतम