किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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मंगलवार, 12 जून 2012
एक कत्ता
कुछ भी दामन में कम नहीं रहता.
मैं कभी चश्मे-नम नहीं रहता.
एक पल को ख़ुशी मिली होती
फिर मुझे कोई गम नहीं रहता.
----देवेंद्र गौतम
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