किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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मंगलवार, 17 मई 2011
कहीं सूरज, कहीं जुगनू का......
कहीं सूरज, कहीं जुगनू का अलम रख देना.
अंधेरे घर में उजाले का भरम रख देना.
बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला क्या हासिल
झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना.
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