जितनी भी तादाद रहे.
असली मुद्दा याद रहे.
ऊपर से गांधीवादी
अंदर से ज़ल्लाद रहे.
घूर के देखा, जेल गए
क़त्ल किया, आज़ाद रहे.
इतनी जंजीरों में रहकर
हम कैसे आज़ाद रहे.
जबतक तेरा साथ रहा
शाद रहे,आबाद रहे.
गांव उजड़ते हैं तो उजडें
शह्र मगर आबाद रहे.
पांच साल में लौटेंगे
इनका चेहरा याद रहे.
कुछ हम सबको हासिल हो
कुछ हम सबके बाद रहे.
एक बंजारन के चक्कर में
कितने घर बर्बाद रहे.
---देवेंद्र गौतम
असली मुद्दा याद रहे.
ऊपर से गांधीवादी
अंदर से ज़ल्लाद रहे.
घूर के देखा, जेल गए
क़त्ल किया, आज़ाद रहे.
इतनी जंजीरों में रहकर
हम कैसे आज़ाद रहे.
जबतक तेरा साथ रहा
शाद रहे,आबाद रहे.
गांव उजड़ते हैं तो उजडें
शह्र मगर आबाद रहे.
पांच साल में लौटेंगे
इनका चेहरा याद रहे.
कुछ हम सबको हासिल हो
कुछ हम सबके बाद रहे.
एक बंजारन के चक्कर में
कितने घर बर्बाद रहे.
---देवेंद्र गौतम