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सोमवार, 4 अप्रैल 2011

दर्दो-गम का इक समंदर.....

दर्दो-गम का इक समंदर रख लिया है.
हमने अपने दिल पे पत्थर रख लिया है.

चैन की इक सांस के बदले में हमने
अपने अंदर इक बवंडर रख लिया है.

अजमतों का बोझ कांधे से हटाकर
हमने अपने सर के ऊपर रख लिया है.