किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
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गुरुवार, 17 मई 2012
रास्ते में कहीं उतर जाऊं?
रास्ते में कहीं उतर जाऊं?
घर से निकला तो हूं, किधर जाऊं?
पेड़ की छांव में ठहर जाऊं?
धूप ढल जाये तो मैं घर जाऊं?
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