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बुधवार, 25 अप्रैल 2012

ऐसी सूरत चांदनी की

ऐसी सूरत चांदनी की.
नींद उड़ जाये सभी की.

एक लम्हा जानते हैं
बात करते हैं सदी की.

हम किनारे जा लगेंगे
धार बदलेगी नदी की.