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रविवार, 21 फ़रवरी 2010

हर कोई बेक़रार है बाबा!

हर कोई बेक़रार है बाबा!
जाने कैसा दयार है बाबा !

जिंदगी तार-तार है बाबा!
मौत का इंतज़ार है बाबा!

आओ मिलजुल के हम चुका डालें
कुछ जमीं का उधार है बाबा!

अब तो कुछ भी नज़र नहीं आता
कैसा गर्दो-गुबार है बाबा!

पूरे होंगे हमारे सपने भी
वक़्त का इंतज़ार है बाबा!

लोग कांटों से रंज रखते हैं
हमको फूलों से खार है बाबा!


-----देवेंद्र गौतम

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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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