हर कोई बेक़रार है बाबा!
जाने कैसा दयार है बाबा !
जिंदगी तार-तार है बाबा!
मौत का इंतज़ार है बाबा!
आओ मिलजुल के हम चुका डालें
कुछ जमीं का उधार है बाबा!
अब तो कुछ भी नज़र नहीं आता
कैसा गर्दो-गुबार है बाबा!
पूरे होंगे हमारे सपने भी
वक़्त का इंतज़ार है बाबा!
लोग कांटों से रंज रखते हैं
हमको फूलों से खार है बाबा!
-----देवेंद्र गौतम
जाने कैसा दयार है बाबा !
जिंदगी तार-तार है बाबा!
मौत का इंतज़ार है बाबा!
आओ मिलजुल के हम चुका डालें
कुछ जमीं का उधार है बाबा!
अब तो कुछ भी नज़र नहीं आता
कैसा गर्दो-गुबार है बाबा!
पूरे होंगे हमारे सपने भी
वक़्त का इंतज़ार है बाबा!
लोग कांटों से रंज रखते हैं
हमको फूलों से खार है बाबा!
-----देवेंद्र गौतम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब
अच्छी-बुरी जो भी हो...प्रतिक्रिया अवश्य दें