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मंगलवार, 17 मई 2011

कहीं सूरज, कहीं जुगनू का......

कहीं सूरज, कहीं जुगनू का अलम रख देना.
अंधेरे घर में उजाले का भरम रख देना.

बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला  क्या हासिल
झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना.


ताकि कायम रहे तकरार की एक पुख्ता ज़मीं
शह्र में चारो तरफ दैरो-हरम रख देना.

 रास्ता जाता है हर एक किसी मंजिल तक
राह जिस सम्त  नज़र आये क़दम रख देना.

कोई तखलीक तो होगी वो बुरी हो कि भली
अपने अहसास की मिटटी जरा नम  रख देना.

ए खुदा! मेरे खुदा! कैसे मुनासिब समझा
मेरे हिस्से में ही दुनिया के सितम रख देना.

---देवेंद्र गौतम 

20 टिप्‍पणियां:

  1. बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला क्या हासिल
    झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना.


    Bahut khoob .....11

    behteer gazal Devendr ji ....

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  2. बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला क्या हासिल
    झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना.

    क्या बात है,वाह, जानदार शेर.

    ए खुदा! मेरे खुदा! कैसे मुनासिब समझा
    मेरे हिस्से में ही दुनिया के सितम रख देना.

    अब ये तो अल्लाह की मर्ज़ी है देवेन्द्र जी.

    वैसे ग़ज़ल प्यारी और बहुत प्यारी है.

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  3. रास्ता जाता है हर एक किसी मंजिल तक
    राह जिस सम्त नज़र आये क़दम रख देना.
    waah bahut khoob kaha

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  4. ग़ज़ल के कथन मे नई बात है. यह शे'र तो सभी को पसंद आएगा-

    बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला क्या हासिल
    झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना.

    क्या बढ़िया कहा है!!

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  5. रास्ता जाता है हर एक किसी मंजिल तक
    राह जिस सम्त नज़र आये क़दम रख देना.

    बहुत ही बढ़िया शेर,आपको अनेकोनेक बधाई।

    मार्कण्ड दवे।
    http://mktvfilms.blogspot.com

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  6. कहीं सूरज, कहीं जुगनू का अलम रख देना.अंधेरे घर में उजाले का भरम रख देना.

    बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला क्या हासिल
    झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना.
    bahut achchi rachanaa.badhaai aapko.


    plese visit my blog and leave the comments also.

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  7. पुरअसर ग़ज़ल का हर शेर लाज़वाब है देवेन्द्र गौतम जी| अग्रजों ने कहने के लिए कुछ छोड़ा ही नहीं है| आप का रचानधर्म प्रभावित करता है|

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  8. बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला क्या हासिल
    झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना.

    वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ।

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  9. बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला क्या हासिल
    झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना.


    -बहुत खूब!!

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  10. बहुत ही बढ़िया शेर,आपको अनेकोनेक बधाई।

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  11. बहुत ही बढ़िया शेर|धन्यवाद|

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  12. कथ्य की विविधता लिए हुए
    अच्छे शेरों से सजी
    अच्छी ग़ज़ल ....
    मस्रुफ़ियात के असर से उपजने वाली
    किसी मन की थकन भी ज़ाहिर हो रही है !
    नवीन जी की बात से सहमत हूँ ... !!

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  13. कोई तखलीक तो होगी वो बुरी हो कि भली
    अपने अहसास की मिटटी जरा नम रख देना.
    बहुत ही बढ़िया ....खूब कहा...

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  14. वाह इस खूबसूरत मख़मली ग़ज़ल का तो जवाब नहीं!
    बहुत बढ़िया!

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  15. देवेन्द्र जी.
    गज़ल पढ़ कर अगर मैं कोई भी शब्द तारीफ़ के लिए प्रयोग करूँ वह इस गज़ल के न्याय नहीं कर पायेगा. निशब्द हूँ..

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  16. बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला क्या हासिल
    झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना.

    बहुत ही अच्‍छा लिखा है बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  17. बैठकर सुर्खियां गढ़ने से भला क्या हासिल
    झूठ लिखने से तो बेहतर है कलम रख देना

    ... बहुत खूब कहा है आपने ।

    जवाब देंहटाएं
  18. रास्ता जाता है हर एक किसी मंजिल तक
    राह जिस सम्त नज़र आये क़दम रख देना.

    bahut sunder ghazal

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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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