तुम भी बदले, हम भी बदले, अब वो दिन वो रात कहां .
मिलने को मिलते हैं लेकिन अब पहली सी बात कहां.
हम सहरा वाले हैं हमसे मौसम के अहवाल न पूछ
जाने अब्र कहाँ छाते हैं, होती है बरसात कहां.
तुम शह देकर इतराते हो, मेरी अगली चाल भी देखो
बाज़ी तो अब शुरू हुई है, खाई हमने मात कहां.
सुनने वाले कब सुनते हैं सुनने वाली बातें अब
कहने वाले भी कहते हैं कहने वाली बात कहां.
----देवेंद्र गौतम
मिलने को मिलते हैं लेकिन अब पहली सी बात कहां.
उसकी सीप सी आंखें छलकीं, दो मोती फिर मुझतक आये
मेरे दिल का टूटा प्याला, रक्खूं ये सौगात कहां.हम सहरा वाले हैं हमसे मौसम के अहवाल न पूछ
जाने अब्र कहाँ छाते हैं, होती है बरसात कहां.
तुम शह देकर इतराते हो, मेरी अगली चाल भी देखो
बाज़ी तो अब शुरू हुई है, खाई हमने मात कहां.
सुनने वाले कब सुनते हैं सुनने वाली बातें अब
कहने वाले भी कहते हैं कहने वाली बात कहां.
----देवेंद्र गौतम
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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब
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