अंधेरी रात के दामन में ख्वाबों के उजाले रख.
बहुत मुश्किल है इस माहौल में कुछ बात कह पाना
जो बातें लब पे आतीं हैं उन्हें दिल में संभाले रख.
सफ़र पे चल पड़ा हूं मैं तो अब रुकना नहीं मुमकिन
मेरे पावों में ए मालिक! तू अब जितने भी छाले रख
तेरी रफ़्तार तेरी ख्वाहिशों को सर्द कर देगी
किसी तर्ह तू अपने जज़्ब-ये-दिल को उबाले रख.
बहाना कुछ तो हो सबके लबों पे छाये रहने का
मेरी वहशत के किस्सों को ज़माने में उछाले रख.
गिले-शिकवे भी कर लेंगे अगर मौका मिला गौतम
अभी फुर्सत नहीं मुझको अभी ये बात टाले रख.
----देवेन्द्र गौतम .
बहुत मुश्किल है इस माहौल में कुछ बात कह पाना
जवाब देंहटाएंजो बातें लब पे आतीं हैं उन्हें दिल में संभाले रख.
ग़ज़ल की ज़बान में कहा गया
बहुत प्यारा शेर .... वाह !
bahut badhiya ...
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल| धन्यवाद|
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