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शनिवार, 5 मई 2012

जाने किस-किस की आस होता है

जाने किस-किस की आस होता है.
जिसका चेहरा उदास होता है.

उसकी उरियानगी पे मत जाओ
अपना-अपना लिबास होता है.

एक पत्ते के टूट जाने पर
पेड़ कितना उदास होता है.


अपनी तारीफ़ जो नहीं करता
कुछ न कुछ उसमें खास होता है.

खुश्क होठों के सामने अक्सर
एक खाली गिलास होता है.

हम खुलेआम कह नहीं सकते
बंद कमरे में रास होता है.

वो कभी सामने नहीं आता
हर घडी आसपास होता है.

----देवेंद्र गौतम


13 टिप्‍पणियां:

  1. एक पत्ते के टूट जाने पर
    पेड़ कितना उदास होता है.

    bahut khoob

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह ...बहुत खूब लिखा है आपने ।

    जवाब देंहटाएं
  3. खुश्क होठों के सामने अक्सर
    एक खाली गिलास होता है.

    जबरदस्त और आखरी वाला शेर भी एकदम धमाल ... मज़ा आ गया देवेन्द्र जी ...

    जवाब देंहटाएं
  4. भाई छोटे जी! एक्सप्रेशन जी!, सदा जी!. दिगंबर नासवा जी .... हौसला-अफजाई के लिए शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  6. अपनी तारीफ़ जो नहीं करता
    कुछ न कुछ उसमें खास होता है.
    ......... वाह

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी गज़ल...सुंदर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  8. एक बेहतरीन ग़ज़ल आपने पढवाई .-एक पत्ते के टूट जाने पर ,पेड़ कितना उदास होता है .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    बृहस्पतिवार, 17 मई 2012
    कैसे करता है हिफाज़त नवजात की माँ का दूध
    कैसे करता है हिफाज़त नवजात की माँ का दूध
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  9. एक बेहतरीन ग़ज़ल आपने पढवाई .-एक पत्ते के टूट जाने पर ,पेड़ कितना उदास होता है .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    बृहस्पतिवार, 17 मई 2012
    कैसे करता है हिफाज़त नवजात की माँ का दूध
    कैसे करता है हिफाज़त नवजात की माँ का दूध
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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