किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
वाह ॥बहुत खूब
बेजोड़ देवेन्द्र भाई...दाद कबूल करेंनीरज i
वाह!!!!बहुत बढ़िया................अनु
bahut khoob !
बहुत सार्थक प्रस्तुति!अच्छा क़ता है!
लाजवाब्!
कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.---ग़ालिब अच्छी-बुरी जो भी हो...प्रतिक्रिया अवश्य दें
वाह ॥बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबेजोड़ देवेन्द्र भाई...दाद कबूल करें
जवाब देंहटाएंनीरज i
वाह!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया................
अनु
bahut khoob !
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंअच्छा क़ता है!
लाजवाब्!
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