हमने दुनिया देखी है
भूल-भुलैया देखी है.
हमने दुनिया देखी है.
उतने की ही बात करो
जितनी दुनिया देखी है.
हमने झिलमिल पानी में
अपनी काया देखी है.
तुमने मन के उपवन में
सोनचिरईया देखी है?
उसको देख नहीं पाया
उसकी माया देखी है.
इक मुद्दत के बाद यहां
इक गोरैया देखी है.
आती-जाती लहरों में
डगमग नैया देखी है.
--देवेंद्र गौतम
sahi solah aane sahi , sarthak post
जवाब देंहटाएंमन के उपवन में सोन चिरैया...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!!!
सादर
अनु
वाह .... बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंसचमुच दुनिया एक भूल-भुलैया जैसी ही तो है. ये शेर तो गागर में सागर जैसे हैं. बहुत खूब.
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं"उसको देख नहीं पाया
उसकी माया देखी है"
बहुत ख़ूबसूरत शे'र है …
पूरी ग़ज़ल काबिले-ता'रीफ़ है
आदरणीय देवेन्द्र गौतम जी
सादर प्रणाम !
बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंहमने झिलमिल पानी में
जवाब देंहटाएंअपनी काया देखी है.
वाह ... लाजवाब शेर है इस बेहतरीन गज़ल का ... छोटी बहर की मस्त गज़ल ..
खूबसूरत गजल
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत अच्छी लगीं यह गजल|
जवाब देंहटाएं"हमने झिलमिल पानी में
अपनी काया देखी है "
सुन्दर भाव लिए पंक्ति
आशा
वाह! वाह! बहुत उम्दा गजल....
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया...
सादर.