मन की मैल हवा में
कितना घोलोगे?
कितनी नफरत फैलानी
है, बोलोगे?
सोचो सड़कों पर
कितना कोहराम मचेगा
तुम तो चादर तान के
घर में सो लोगे.
तेरी झोली और तिजोरी
भर जाएगी
एक-एक कर जब हर नाव
डुबो लोगे.
हमें पता है फिर कोई
माया रचकर
दामन पर जो दाग़
लगेंगे धो लोगे.
तेरी आंत के अंदर हम
आ बैठे हैं
अपने मन की गांठ
कहां पर खोलोगे.
गज़ब शेर हैं देवेन्द्र जी ...
जवाब देंहटाएंहर शेर मुकम्मल, नए अंदाज़ की बात कहता हुआ ...
समय का भयंकर सच
जवाब देंहटाएंसमय का भयंकर सच
जवाब देंहटाएं