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शनिवार, 4 अगस्त 2018

कितनी नफरत फैलानी है, बोलोगे?


मन की मैल हवा में कितना घोलोगे?
कितनी नफरत फैलानी है, बोलोगे?

सोचो सड़कों पर कितना कोहराम मचेगा
तुम तो चादर तान के घर में सो लोगे.

तेरी झोली और तिजोरी भर जाएगी
एक-एक कर जब हर नाव डुबो लोगे.

हमें पता है फिर कोई माया रचकर
दामन पर जो दाग़ लगेंगे धो लोगे.

तेरी आंत के अंदर हम आ बैठे हैं
अपने मन की गांठ कहां पर खोलोगे.



3 टिप्‍पणियां:

कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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