अपने जैसों की मेजबानी में.
लुत्फ़ आता है लामकानी में.
हर सुखनवर है अब रवानी में.
कुछ नई बात है कहानी में.
उसने सदियों की दास्तां कह दी
एक लम्हे की बेज़ुबानी में.
यूं भी बुझती है तिश्नगी अपनी
जिस्म सहरा में जान पानी में.
जो ज़मीं की तलाश में निकले
खो गए शहरे-आसमानी में.
----देवेंद्र गौतम
उसने सदियों की दास्ताँ कह दी
जवाब देंहटाएंएक लम्हे की बेज़ुबानी में.
यूँ भी बुझती है तिश्नगी अपनी
जिस्म सहरा में जान पानी में....
सभी शेर एक से बढ़कर एक.....
वाह!.......
क्या लाजवाब ग़ज़ल कही है.
उसने सदियों की दास्ताँ कह दी
जवाब देंहटाएंएक लम्हे की बेज़ुबानी में.
लाजवाब ग़ज़ल ....
उसने सदियों की दास्ताँ कह दी
जवाब देंहटाएंएक लम्हे की बेज़ुबानी में.
behtareen !!!!!!!
is se aage koi lafz nahin hai mere pas
bahut sundar hai likha ..dil ko chhoota hua sa ...
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