हवा में उड़ रहा है आशियाना.
परिंदे का नहीं कोई ठिकाना.
हमेशा चूक हो जाती है हमसे
सही लगता नहीं कोई निशाना.
अभी सहरा में लाना है समंदर
अभी पत्थर पे है सब्ज़ा उगाना.
जिसे आंखों ने देखा सच वही है
किसी की बात में बिल्कुल न आना.
किसी को याद रखना सख्त मुश्किल
मगर उससे भी मुश्किल है भुलाना.
निकलना रोज अंधेरी गली से
फिर अपने आप से आंखें चुराना.
न आयेंगे कभी हम दर पे तेरे
हमारे दर पे अब तुम भी न आना.
सभी बन्दूक की जद में खड़े थे
यहां हमला हुआ था कातिलाना.
हमेशा मौत ने रुसवा किया है
मिला है जब भी जीने का बहाना.
----देवेंद्र गौतम
Bahut hi achchhi ghazal likhi hai....badhaiyaan...
जवाब देंहटाएंकिसी को याद रखना सख्त मुश्किलमगर उससे भी मुश्किल है भुलाना.kya bat hai... bahoot khoob...
जवाब देंहटाएंBahut hi lajawab ... har sher khil raha hai ... aur matle ka sher to jaise dil nikaal ke le gaya ...
जवाब देंहटाएंजिसे आंखों ने देखा सच वही है
जवाब देंहटाएंकिसी की बात में बिल्कुल न आना.
...... main isi per yakeen rakhti hun
जिसे आंखों ने देखा सच वही है
जवाब देंहटाएंकिसी की बात में बिल्कुल न आना.
-उम्दा गज़ल.
क्या बात है ,वाह .
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल.
badhiya ghazal...
जवाब देंहटाएंKhud se batiyaati sunder gazal. Badhai devendra ji.
जवाब देंहटाएंhar baar ki tarah
जवाब देंहटाएंek khoosurat gzl....
achhe alfaaz ,, achhee baangii ,,,
ye sher khaas taur par psand aye...
अभी सहरा में लाना है समंदर
अभी पत्थर पे है सब्ज़ा उगाना
किसी को याद रखना सख्त मुश्किल
मगर उससे भी मुश्किल है भुलाना
badhaaeeeeee .
निकलना रोज अंधेरी गली से
जवाब देंहटाएंफिर अपने आप से आंखें चुराना.
न आयेंगे कभी हम दर पे तेरे
हमारे दर पे अब तुम भी न आना.
क्या शेर कहे हैं आपने, बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल है !
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार और लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने! बधाई !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है !
आदरणीय श्रीगौतमजी,
जवाब देंहटाएं"न आयेंगे कभी हम दर पे तेरे,
हमारे दर पे अब तुम भी न आना|"
इतनी भी क्या रूसवाई?
बहुत सुंदर, बधाई है।
मार्कण्ड दवे।
http://mktvfilms.blogspot.com
जिसे आंखों ने देखा सच वही है
जवाब देंहटाएंकिसी की बात में बिल्कुल न आना.
किसी को याद रखना सख्त मुश्किल
मगर उससे भी मुश्किल है भुलाना.
khoobsoorat ghazal ke behtareen ash'aar
अभी सहरा में लाना है समंदर
जवाब देंहटाएंअभी पत्थर पे है सब्ज़ा उगाना.
ये ज़ज्बा कायम रहे .....
वाह बहुत सुन्दर गज़ल --
जवाब देंहटाएंकिसी को याद रखना सख्त मुश्किल
मगर उससे भी मुश्किल है उसे भूल जाना
लाजवाब।
एक उम्दा ग़ज़ल. ये शेर तो सीधा दिल में उतर गए!
जवाब देंहटाएंअभी सहरा में लाना है समंदर
अभी पत्थर पे है सब्ज़ा उगाना.
किसी को याद रखना सख्त मुश्किल
मगर उससे भी मुश्किल है उसे भूल जाना
हमेशा मौत ने रुसवा किया है
मिला है जब भी जीने का बहाना.
किसी को याद रखना सख्त मुश्किल
जवाब देंहटाएंमगर उससे भी मुश्किल है भुलाना.
भावनाओं की गहराइयों से निकला बहुत खूबसूरत शेर...
पूरी ग़ज़ल उम्दा है.