इन्हीं सड़कों से रग़बत थी, इन्हीं गलियों में डेरा था.
यही वो शह्र है जिसमें कभी अपना बसेरा था.
सफ़र में हम जहां ठहरे तो पिछला वक़्त याद आया
यहां तारीकिये-शब है वहां रौशन सबेरा था.
वहां जलती मशालें भी कहां तक काम आ पातीं
खजाने लुट गए यारो! तो अब आंखें खुलीं अपनी
जिसे हम पासबां समझे हकीकत में लुटेरा था.
कोई तो रंग ऐसा हो कि जेहनो-दिल पे छा जाये
इसी मकसद से मैंने सात रंगों को बिखेरा था.
अंधेरों के सफ़र का जिक्र भी मुझसे नहीं करना
जहां आंखें खुलीं अपनी वहीं समझो सबेरा था.
वो एक आंधी थी जिसने हमको दोराहे पे ला पटका
खता तेरी न मेरी थी ये सब किस्मत का फेरा था.
मैं अपने वक़्त से आगे निकल आता मगर गौतम
मेरे चारो तरफ गुजरे हुए लम्हों का घेरा था.
-----देवेंद्र गौतम
वो एक आंधी थी जिसने हमको दोराहे पे ला पटका
जवाब देंहटाएंखता तेरी न मेरी थी ये सब किस्मत का फेरा था.
-हर एक शेर बेहतरीन.....
अंधेरों के सफ़र का जिक्र भी मुझसे नहीं करना
जवाब देंहटाएंजहां आंखें खुलीं अपनी वहीं समझो शबेरा था.
बहुत ही लाजवाब ... बेहतरीन शेरों से सजी गज़ल ...
खजाने लुट गए यारो! तो अब आंखें खुलीं अपनी
जवाब देंहटाएंजिसे हम पासबां समझे हकीकत में लुटेरा था.
बहुत ही खूबसूरत गज़ल है ! हर शेर लाजवाब है और हर भाव अनुपम ! बधाई !
वहां जलती मशालें भी कहां तक काम आ पातीं
जवाब देंहटाएंजहां हरसू खमोशी थी, जहां हरसू अंधेरा था.
खुबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई गौतम जी|
वहां जलती मशालें भी कहां तक काम आ पातीं
जवाब देंहटाएंजहां हरसू खमोशी थी, जहां हरसू अंधेरा था.
खजाने लुट गए यारो! तो अब आंखें खुलीं अपनी
जिसे हम पासबां समझे हकीकत में लुटेरा था.
bahut khoob
बहुत अच्छा लगा आपका मेल मिलने पर! आपके बारे में जानकर ख़ुशी हुई!
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत और लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने! हर एक शेर एक से बढ़कर एक है!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अंधेरों के सफ़र का जिक्र भी मुझसे नहीं करना
जवाब देंहटाएंजहां आंखें खुलीं अपनी वहीं समझो शबेरा था.
बहुत ही बढि़या ... ।
खजाने लुट गए यारो! तो अब आंखें खुलीं अपनी
जवाब देंहटाएंजिसे हम पासबां समझे हकीकत में लुटेरा था.
यही हक़ीक़त है.उम्दा शेर/अच्छी ग़ज़ल.
अंधेरों के सफ़र का जिक्र भी मुझसे नहीं करना
जवाब देंहटाएंजहां आंखें खुलीं अपनी वहीं समझो शबेरा था.
वो एक आंधी थी जिसने हमको दोराहे पे ला पटका
खता तेरी न मेरी थी ये सब किस्मत का फेरा था.
लाजवाब.....बहुत खूब!
जहां आंखें खुलीं अपनी वहीं समझो शबेरा था.
जवाब देंहटाएंकृपया अन्यथा न लें.....शबेरा को सुधार कर सबेरा कर लें.....
निश्चय ही टाइपिंग भूल होगी....हार्दिक धन्यवाद !
अंधेरों के सफ़र का जिक्र भी मुझसे नहीं करना
जवाब देंहटाएंजहां आंखें खुलीं अपनी वहीं समझो सबेरा था.
वाह लाजवाब। बहुत अच्छी लगी गज़ल। आभार।
कोई तो रंग ऐसा हो कि जेहनो-दिल पे छा जाये
जवाब देंहटाएंइसी मकसद से मैंने सात रंगों को बिखेरा था.
बहुत खूब.....आपसे काफी कुछ सीखने को मिलेगा....
ग़ज़ल का हर शेर बेहद उम्दा है
जवाब देंहटाएंडॉ. एच. पी. पाण्डेय 'अदब'