खुदी के हाथ से निकला तो फिर हलाक हुआ.
कफे-गुरूर में हर शख्स जेरे-खाक हुआ.
हरेक तर्ह की आबो-हवा से गुजरा हूं
ये और बात तेरी रहगुजर में खाक हुआ.
उसे तराशने वाला भी ताबनाक हुआ.
ये कच्चे धागों का बंधन है या तमाशा है
अभी-अभी हुई शादी अभी तलाक हुआ.
ये कच्चे धागों का बंधन है या तमाशा है
अभी-अभी हुई शादी अभी तलाक हुआ.
मैं उससे अपनी तबाही का सबब पूछुंगा
अगर कभी मुझे मिलने का इत्तिफाक हुआ.
तलब की आखिरी मंजिल अजीब मंजिल है
तलब की आखिरी मंजिल अजीब मंजिल है
कि इस मुकाम पर जो पहुंचा वो हलाक हुआ.
मुहब्बतें मिलीं मुझको न नफरतें गौतम
अजीब रंग में दामन जुनू का चाक हुआ.
-----देवेंद्र गौतम
मैं उससे अपनी तबाही का सबब पूछुंगा
जवाब देंहटाएंअगर कभी मुझे मिलने का इत्तिफाक हुआ.
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल मुबारक हो .....
मैं उससे अपनी तबाही का सबब पूछुंगा
जवाब देंहटाएंअगर कभी मुझे मिलने का इत्तिफाक हुआ...
बहुत खूब ... क्या शेर निकाले हैं जनाब ... सुभान अल्ला ... दिल करता है सभी शेर एक एक कर के कोट कर दूं ...
हर शेर अच्छे ,खूबसूरत ग़ज़ल..बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..खूबसूरत ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंये कच्चे धागों का बंधन है या तमाशा है
जवाब देंहटाएंअभी-अभी हुई शादी अभी तलाक हुआ.
bahut khoob
poori gazal khoobsoorat
अच्छी ग़जल ..सभी शेर अच्छे ..मेरी पसंद ..हरेक तरह की आबो-हवा से गुजरा हूँ,........बधाई !
जवाब देंहटाएंवो रातो-रात चमकने लगा सितारों सा
जवाब देंहटाएंउसे तराशने वाला भी ताबनाक हुआ.
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
ये कच्चे धागों का बंधन है या तमाशा है
जवाब देंहटाएंअभी-अभी हुई शादी अभी तलाक हुआ.
मैं उससे अपनी तबाही का सबब पूछुंगा
अगर कभी मुझे मिलने का इत्तिफाक हुआ.
खूबसूरत ग़ज़ल...
मैं उससे अपनी तबाही का सबब पूछुंगा
जवाब देंहटाएंअगर कभी मुझे मिलने का इत्तिफाक हुआ.
हर शेर उम्दा....एक से बढकर एक......
हरेक तर्ह की आबो-हवा से गुजरा हूं
जवाब देंहटाएंये और बात तेरी रहगुजर में खाक हुआ..behtarin sher roopi pholon se bana gazal ka khobsurat guldasta..bahut bahut badhai
कफे-गुरूर में हर शख्स जेरे-खाक हुआ
जवाब देंहटाएंइसी खूबसूरत मिसरे से आगे बढ़ते हुए
पूरी ग़ज़ल की ख़ूबसूरती से वाक़िफ होता गया हूँ
पिछले ज़माने में 'सौती क़ाफ़िया' ग़ज़लों की भी
एक अपनी रवायत रही है
वैसा ही इक अहसास होना,, अच्छा लगा...
मुबारकबाद .
बहुत ख़ूबसूरत और उम्दा ग़ज़ल लिखा है आपने! हर एक शेर लाजवाब है!
जवाब देंहटाएंहरेक तरह की आबोहवा ..............
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात कही है गौतम जी, जय हो|
घनाक्षरी समापन पोस्ट - १० कवि, २३ भाषा-बोली, २५ छन्द
मैं उससे अपनी तबाही का सबब पूछुंगा
जवाब देंहटाएंअगर कभी मुझे मिलने का इत्तिफाक हुआ.
तलब की आखिरी मंजिल अजीब मंजिल है
कि इस मुकाम पर जो पहुंचा वो हलाक हुआ.
बेहतरीन गज़ल ...!!
बहुत खूब ... क्या शेर निकाले हैं जनाब .
जवाब देंहटाएंमैं उससे अपनी तबाही का सबब पूछुंगा
जवाब देंहटाएंअगर कभी मुझे मिलने का इत्तिफाक हुआ.
क्या बात है.....गजब .....