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सोमवार, 1 अगस्त 2011

हर वक़्त कोई रंग हवा में.......

हर वक़्त कोई रंग हवा में उछाल रख.
दुनिया के सामने युहीं अपना कमाल रख.

अपनी अकीदतों का जरा सा खयाल रख.
आना है मेरे दर पे तो सर पे रुमाल रख.

मैं डूबता हूं और उभरता हूं खुद-ब-खुद 
तू मेरी फिक्र छोड़ दे अपना खयाल रख.


जो भी शिकायतें हैं उन्हें खुल के बोल दे
अच्छा नहीं कि दिल में तू कोई मलाल रख.

अब तू खुदा-परस्त नहीं खुद-परस्त बन
जीने के वास्ते यहां खुद को निहाल रख. 

जिसकी मिसाल ढूँढनी मुमकिन न हो सके 
हम सब के सामने कोई ऐसी मिसाल रख.

अपना बचाव करने का हक हर किसी को है
तलवार रख म्यान में, हाथों में ढाल रख.

----देवेंद्र गौतम 


14 टिप्‍पणियां:

  1. हर एक पूरी बात कह रहा है...वाह!!


    अपना बचाव करने का हक हर किसी को है
    तलवार रख म्यान में, हाथों में ढाल रख.


    शानदार!!

    जवाब देंहटाएं
  2. हर शेर बेहतरीन है.
    अच्छी है पूरी ग़ज़ल.

    जवाब देंहटाएं
  3. पहली बार पढ़ रहा हूँ आपको....

    अच्छा लगा यहाँ आकर ....ज्वाइन कर रहा हूँ आपको....
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है...

    जवाब देंहटाएं
  4. जिसकी मिसाल ढूँढनी मुमकिन न हो सके
    हम सब के सामने कोई ऐसी मिसाल रख.

    अपना बचाव करने का हक हर किसी को है
    तलवार रख म्यान में, हाथों में ढाल रख.

    पूरी गज़ल ही लाजवाब है ... बहुत खूबसूरत हर अशआर

    जवाब देंहटाएं
  5. जिसकी मिसाल ढूँढनी मुमकिन न हो सके
    हम सब के सामने कोई ऐसी मिसाल रख.

    बहुत खूब ... बहुत खूब ... बहुत खूब ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर रचना, बहुत खूबसूरत प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  7. हर शेर बेहतरीन है.
    अच्छी है पूरी ग़ज़ल.
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
    अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन शेर..... कमाल की पंक्तियाँ रची हैं आपने....

    जवाब देंहटाएं
  9. जिसकी मिसाल ढूँढनी मुमकिन न हो सके
    हम सब के सामने कोई ऐसी मिसाल रख.

    अपना बचाव करने का हक हर किसी को है
    तलवार रख म्यान में, हाथों में ढाल रख.

    बहुत ख़ूबसूरती से चंद अल्फ़ाज़ में अपनी बात कह दी गई है
    वाह !!

    जवाब देंहटाएं
  10. पूरी ग़ज़ल ही लाज़वाब है पर आख़िरी शेर गज़ब का है| बधाई|

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  11. आदरणीय देवेन्द्र गौतम जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    मेरे भी मन की बात कह रहा है यह शे'र -
    जो भी शिकायतें हैं उन्हें खुल के बोल दे
    अच्छा नहीं कि दिल में तू कोई मलाल रख


    आपकी ग़ज़लें तो हमेशा प्रभावित करती हैं … पूरी ग़ज़ल शानदार !
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  12. pahli baar aapke blog pe aana hua..kisi ek sher ki bishesh tabajjo dena shero mein aapas mein phoot daalene jaisa hoga..akhiri sher mein...bhai wah kya najakat se apni baat kah di hai..badhayee aaur apne blog pe amantran ke sath

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  13. अपनी अकीदतों का जरा सा खयाल रख.
    आना है मेरे दर पे तो सर पे रुमाल रख....

    हर शेर बेहतरीन .... मुकम्मल .... मज़ा आ गया पढ़ के गौतम जी ...

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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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