हर लम्हा जो करीब था वो बदगुमां मिला.
उजड़ा हुआ ख़ुलूस ही हरसू रवां मिला.
सर पे किसी भी साये की हसरत नहीं रही
उडती हुई सी खाक हूं अपना किसे कहूं
हर शख्स अपने आप में कोहे-गरां मिला.
बैठे हुए थे डालियों पे बेनवां परिन्द
उजड़े हुए से बाग़ में जब आशियां मिला.
वहमों-गुमां की धुंध में खोया हुआ हूं मैं
मुझको किसी यकीन का सूरज कहाँ मिला.
गौतम उसे सुकून की दौलत नसीब हो
जिसके करम से मुज्महिल तर्ज़े-बयां मिला.
---देवेंद्र गौतम
बहुत उम्दा!!
जवाब देंहटाएंअच्छे अशआरों से सजी खूबसूरत ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंसर पे किसी भी साये की हसरत नहीं रही
जवाब देंहटाएंमुझपे गिरा है टूट के जो आस्मां मिला.
बहुत खूब...दिल को छू लेने वाला शेर.
पूरी ग़ज़ल भी शानदार है.
bahut khoobsoorat ghazal hamesha ki tarah
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहर लम्हा जो करीब था वो बदगुमां मिला.
जवाब देंहटाएंउजड़ा हुआ ख़ुलूस ही हरसू रवां मिला.
bahut shandaar gazalen hain aapki
मैं गजल की तकनीकियों पर तो कोई बात कहने में सक्षम नहीं हूँ ,पर हर शेर का विषय अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंवहमों-गुमां की धुंध में खोया हुआ हूं मैं
जवाब देंहटाएंमुझको किसी यकीन का सूरज कहाँ मिला.
बहुत खूब
जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
जवाब देंहटाएंदुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मना ले ईद.
ईद मुबारक
कुँवर कुसुमेश
Bahut behtarin gazal
जवाब देंहटाएंपञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
जवाब देंहटाएं***************************************************
"आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"