किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
बधाई देवेन्द्र जी ... ढेरों शुभकमनाएं ...
कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.---ग़ालिब अच्छी-बुरी जो भी हो...प्रतिक्रिया अवश्य दें
बधाई देवेन्द्र जी ... ढेरों शुभकमनाएं ...
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