किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़.. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़.
कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.---ग़ालिब अच्छी-बुरी जो भी हो...प्रतिक्रिया अवश्य दें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब
अच्छी-बुरी जो भी हो...प्रतिक्रिया अवश्य दें