थोड़ा छुप जाता है लेकिन थोड़ा दिख
ही जाता है.
लाख मुखौटों के अंदर हो चेहरा दिख
ही जाता है.
जितनी आजादी का दावा करना है, करते
रहिए
सांसों पर भी लगा हुआ है पहरा, दिख ही जाता है.
हमको घास के हर तिनके में, लाख न
चाहूं
हल्दीघाटी के अंदर का राणा दिख ही
जाता है.
जिनकी आंखें गहराई में गोते खाती
हैं उनको
रेत के अंदर नींद में डूबा दरिया
दिख ही जाता है.
जाम पड़ा हो, चुप बैठा हो, तो शायद छुप भी जाए
पटरी-पटरी चलने वाला पहिया दिख ही
जाता है.
सबकी आंखों पर चढ़ता है उनकी आंखों
का जादू
वो दिखलाएं तो सहरा में दरिया दिख
ही जाता है.
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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब
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