लाख
दानां थे, हमें नादान हो जाना पड़ा. दानां-बुद्धिमान
दोस्ती
के नाम पे कुर्बान हो जाना पड़ा.
वो
अचानक सामने हथियार लेकर आ गए
फिर
हमें भी जंग का मैदान हो जाना पड़ा.
सांस
की आवाज़ भी मंजूर होने को न थी
जान
प्यारी थी हमें, बेजान हो जाना पड़ा.
देवता
के भेष में फिरता हुआ चारो तरफ
एक
दानव था जिसे इंसान हो जाना पड़ा.
उनके
चेहरे के मुखौटे का पता हमको भी था
जानकर
लेकिन हमें अनजान हो जाना पड़ा.
आपकी
झोली बड़ी होती गई, भरती गई
आप निर्धन थे मगर धनवान हो जाना पड़ा.
-देवेंद्र गौतम
सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत खूब
जवाब देंहटाएंये हो जाना पड़ने की मजबूरी .... बहुत खूब लिखा है ।
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब👌👌
आप अपना स्पैम चेक कीजिए
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