कब्र में लेटे हुए शैतान को जिंदा किया.
आप शर्मिंदा हुए हमको भी शर्मिंदा किया.
एक-इक कर कटघरे में कर दिया सबको खड़ा
छुप नहीं पाया मगर जिस जुर्म पे पर्दा किया.
दान में पाया था या जबरन वसूला था, कहो
क्या गटक जाने की खातिर आपने चंदा किया.
भूल कर बैठे उसे पहचानने में देर कर दी
वो गले का हार था तुमने जिसे फंदा किया.
शक्ल बतलाती है कि कीमत करोड़ों में लगी
कुछ बताओ तो कहां ईमान का सौदा किया.
चाल उनकी देखके सर नोचता भगवान भी
सोचता होगा ये किस इंसान को पैदा किया.
-देवेंद्र गौतम
कमाल की ग़ज़ल है … लाजवाब शेर सभी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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