समर्थक

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

देर तक देखा न कर

देर तक देखा न कर.
आईना मैला न कर.


बेचकर अपनी खुदी
कद बहुत ऊंचा न कर.


बांध तारीफों के पुल
रेत को दरिया न कर.


पाओं जब लम्बे नहीं
रास्ता छोटा न कर.


तू हवा, तूफ़ान मैं
सामना मेरा न कर.


---देवेंद्र गौतम 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

अच्छी-बुरी जो भी हो...प्रतिक्रिया अवश्य दें