देर तक देखा न कर.
आईना मैला न कर.
बेचकर अपनी खुदी
बांध तारीफों के पुल
रेत को दरिया न कर.
पाओं जब लम्बे नहीं
रास्ता छोटा न कर.
तू हवा, तूफ़ान मैं
सामना मेरा न कर.
---देवेंद्र गौतम
आईना मैला न कर.
बेचकर अपनी खुदी
कद बहुत ऊंचा न कर.
बांध तारीफों के पुल
रेत को दरिया न कर.
पाओं जब लम्बे नहीं
रास्ता छोटा न कर.
तू हवा, तूफ़ान मैं
सामना मेरा न कर.
---देवेंद्र गौतम
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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब
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