आंच शोले में नहीं, लह्र भी पानी में नहीं.
और तबीयत भी मेरी आज रवानी में नहीं.
काफिला उम्र का समझो कि रवानी में नहीं.
कुछ हसीं ख्वाब अगर चश्मे-जवानी में नहीं.
खुश्क होने लगे चाहत के सजीले पौधे
और खुशबू भी किसी रात की रानी में नहीं.
दिल को बहलाने क़ी हल्की सी एक कोशिश है
और कुछ भी मेरी रंगीन-बयानी में नहीं.
धुंद में खो गए माजी के कबीले गौतम
और तेरा अक्स भी अब तेरी निशानी में नहीं.
------देवेन्द्र गौतम
और तबीयत भी मेरी आज रवानी में नहीं.
काफिला उम्र का समझो कि रवानी में नहीं.
कुछ हसीं ख्वाब अगर चश्मे-जवानी में नहीं.
खुश्क होने लगे चाहत के सजीले पौधे
और खुशबू भी किसी रात की रानी में नहीं.
दिल को बहलाने क़ी हल्की सी एक कोशिश है
और कुछ भी मेरी रंगीन-बयानी में नहीं.
धुंद में खो गए माजी के कबीले गौतम
और तेरा अक्स भी अब तेरी निशानी में नहीं.
------देवेन्द्र गौतम
धुंद में खो गए माजी के कबीले गौतम
जवाब देंहटाएंऔर तेरा अक्स भी अब तेरी निशानी में नहीं
बहुत ख़ूब !
ग़ज़ल के तक़ाज़ों को पूरा करती हुई ये ग़ज़ल
अपनी बात कह पान्ने में कामयाब है
खुश्क होने लगे चाहत के सजीले पौधे
जवाब देंहटाएंऔर खुशबू भी किसी रात की रानी में नहीं.
क़ाबिले-दाद शेर है. ग़ज़ल भी उम्दा..
बहुत अच्छी ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंदिल को बहलाने क़ी हल्की सी एक कोशिश है
और कुछ भी मेरी रंगीन-बयानी में नहीं.
बहुत कुछ है आपकी रंगीन बयानी में.
ढेरों सलाम.
आंच शोले में नहीं, लह्र भी पानी में नहीं.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब ....!!
खुश्क होने लगे चाहत के सजीले पौधे
और खुशबू भी किसी रात की रानी में नहीं.
क्या बात है ...
देवेन्द्र जी बहुत अच्छा लिखते हैं आप .....!!
खुश्क होने लगे चाहत के सजीले पौधे
जवाब देंहटाएंऔर खुशबू भी किसी रात की रानी में नहीं.
waah!
हौसला अफजाई के लिए आप सबों का शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंआंच शोले में नहीं, लह्र भी पानी में नहीं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत शब्द ...
बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई ..मेरे ब्लाग पर आपके प्रथम आगमन का स्वागत है ।