सहने-दिल में दर्दो-गम की खुशनुमा काई कहां.
अब हमारे पास जज्बों की वो गहराई कहां.
हर तरफ बे-रह-रवी है, हर तरफ है शोरो-गुल
इस शिकस्ता शहर में मिलती है तन्हाई कहां.
कोई अपना हो तो खुद आकर के मिल जाये के अब
अजनवी लोगों में हम ढूंढें शनासाई कहां.
सामने सबकुछ है लेकिन कुछ नज़र आता नहीं
बेखयाली ले गयी आंखों से बीनाई कहां.
रात गहरी हो चुकी तो हू का आलम तोड़कर
फिर ख़यालों में मेरे बजती है शहनाई कहां.
हर कदम पे मौत की तारीकियां हैं मौजज़न
जिन्दगी आखिर मुझे अबके उठा लाई कहां.
लोग चाहे कुछ कहें लेकिन हकीकत है यही
खुद्फरेबी है अभी हम सब में सच्चाई कहां.
अब हमारे पास जज्बों की वो गहराई कहां.
हर तरफ बे-रह-रवी है, हर तरफ है शोरो-गुल
इस शिकस्ता शहर में मिलती है तन्हाई कहां.
कोई अपना हो तो खुद आकर के मिल जाये के अब
अजनवी लोगों में हम ढूंढें शनासाई कहां.
सामने सबकुछ है लेकिन कुछ नज़र आता नहीं
बेखयाली ले गयी आंखों से बीनाई कहां.
रात गहरी हो चुकी तो हू का आलम तोड़कर
फिर ख़यालों में मेरे बजती है शहनाई कहां.
हर कदम पे मौत की तारीकियां हैं मौजज़न
जिन्दगी आखिर मुझे अबके उठा लाई कहां.
लोग चाहे कुछ कहें लेकिन हकीकत है यही
खुद्फरेबी है अभी हम सब में सच्चाई कहां.
---देवेंद्र गौतम
वाह देवेन्द्र भाई वाह| पूरी ग़ज़ल पढ़ी, तबीयत खुश हो गयी|
जवाब देंहटाएंसहने-दिल में दर्दो-गम की खुशनुमा काई कहां
जवाब देंहटाएंअब हमारे पास जज्बों की वो गहराई कहां
ग़ज़ल का मतला,
बयान की इस्तेलाह तक ले जा तो रहा ही है
ग़ज़ल-मौसूफ़ के मिज़ाज से भी वाक़िफ़ करवा रहा है
"काई" और वो भी खुशनुमा ...
यही कहूंगा... देवेन्द्र गौतम का ही खास्सा है
और
सामने सबकुछ है लेकिन कुछ नज़र आता नहीं
बेखयाली ले गयी आंखों से बीनाई कहां....
कुछ नहीं कह पाऊंगा ...
मुकम्मल शेर है .... वाh
रात गहरी हो चुकी तो हू का आलम तोड़कर
जवाब देंहटाएंफिर ख़यालों में मेरे बजती है शहनाई कहां.
अरे वाह क्या खूब कहा है बहुत ही सुंदर .....
सामने सबकुछ है लेकिन कुछ नज़र आता नहीं
जवाब देंहटाएंबेखयाली ले गयी आंखों से बीनाई कहां.
बेहतरीन शेर ,जज़्ब के आलम की उम्दा अक्कासी
वाह !यूं तो पूरी ग़ज़ल अच्छी है लेकिन ये हासिल ए ग़ज़ल शेर है मेरी नज़र में
अब हमारे पास जज़्बों की वो गहराई कहां.
बहुत ख़ूब !
आप कहते हैं बहुत अच्छी ग़ज़ल देवेन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंआप के फ़न की भला होएगी भरपाई कहाँ.
लोग चाहे कुछ कहें लेकिन हकीकत है यही
जवाब देंहटाएंखुद्फरेबी है अभी हम सब में सच्चाई कहां.
बहुत खूब.
रंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.