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सोमवार, 25 जून 2012

हर लंका में एक विभीषण होता है

कुल के अंदर कुल का दुश्मन होता है.
हर लंका में एक विभीषण होता है.

मन का सोना, तन का कुंदन होता है.
हर बूढ़े में थोडा बचपन होता है.

किसको संतुष्टि मिलती है क्या जाने
जब पुरखों का तर्पण-अर्पण होता है .

रविवार, 17 जून 2012

रिश्तों की पहचान अधूरी होती है

रिश्तों की पहचान अधूरी होती है.
जितनी कुर्बत उतनी दूरी होती है.

पहले खुली हवा में पौधे उगते थे
अब बरगद की छांव जरूरी होती है.

मंगलवार, 12 जून 2012

एक कत्ता


कुछ भी दामन में कम नहीं रहता.
मैं कभी चश्मे-नम नहीं रहता.
एक पल को ख़ुशी मिली होती
फिर मुझे कोई गम नहीं रहता.

----देवेंद्र गौतम 

सोमवार, 4 जून 2012

मुखालिफ हवाओं को हमवार कर दे.

मुखालिफ हवाओं को हमवार कर दे.
भवंर में फंसा हूं मुझे पार कर दे.

जिसे जिंदगी ने कहीं का न छोड़ा
उसे जिंदगी का तलबगार कर दे.