एक उम्मीद लगाकर रखना.
दिल में कंदील जलाकर रखना.
कुछ अकीदत तो बचाकर रखना.
फूल थाली में सजाकर रखना.
जिंदगी साथ दे भी सकती है
आखरी सांस बचाकर रखना.
पास कोई न फटकने पाए
धूल रस्ते में उड़ाकर रखना.
ये इबादत नहीं गुलामी है
शीष हर वक़्त झुकाकर रखना.
लफ्ज़ थोड़े, बयान सदियों का
जैसे इक बूंद में सागर रखना.
भीड़ से फर्क कुछ नहीं पड़ता
अपनी पहचान बचाकर रखना
----देवेंद्र गौतम
दिल में कंदील जलाकर रखना.
कुछ अकीदत तो बचाकर रखना.
फूल थाली में सजाकर रखना.
जिंदगी साथ दे भी सकती है
आखरी सांस बचाकर रखना.
पास कोई न फटकने पाए
धूल रस्ते में उड़ाकर रखना.
ये इबादत नहीं गुलामी है
शीष हर वक़्त झुकाकर रखना.
लफ्ज़ थोड़े, बयान सदियों का
जैसे इक बूंद में सागर रखना.
भीड़ से फर्क कुछ नहीं पड़ता
अपनी पहचान बचाकर रखना
----देवेंद्र गौतम
जवाब देंहटाएंएक उम्मीद ..'
क्या बात है!
बहुत खूब कही है गज़ल आप ने.
Nice poem.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया देवेन्द्र जी....
जवाब देंहटाएंआभार..
अनु
जिंदगी साथ दे भी सकती है
जवाब देंहटाएंआखरी सांस बचाकर रखना.
Kayi saansen bacha ke rakhee theen,lekin kaam na aayeen!
बहुत सुन्दर गज़ल...
जवाब देंहटाएं--- दूसरा शे'र ...हुश्ने मतला है ...
भीड़ से फर्क कुछ नहीं पड़ता
जवाब देंहटाएंअपनी पहचान बचाकर रखना
वाह ... बेहतरीन भाव
जिंदगी साथ दे भी सकती है
जवाब देंहटाएंआखरी सांस बचाकर रखना.
गज़ब की कसक है इस शेर में.जैसे कलेजा निकाल कर रख दिया हो. पूरी ग़ज़ल अच्छी है लेकिन यह शेर तो हासिल-ग़ज़ल है. मेरी बधाई स्वीकार करें.